लोक स्वराज - हमारा अधिकार

एक लोकतांत्रिक समाज की जीवंत छवि में, “लोक स्वराज हमारा अधिकार” नागरिक सशक्तिकरण और स्व-शासन के लिए एक स्पष्ट आह्वान के रूप में गूंजता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के अपने राष्ट्र के भाग्य को आकार देने में सक्रिय रूप से भाग लेने के अंतर्निहित अधिकार का प्रतीक है। अपने मूल में, यह मंत्र लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक है, जिसमें कहा गया है कि शासन करने की शक्ति अंततः लोगों के हाथों में है।

लोक स्वराज लोकतंत्र के महत्व पर जोर देता है जहां नागरिक केवल दर्शक नहीं बल्कि अपने समाज की प्रगति के सक्रिय वास्तुकार हैं। “लोक स्वराज” एक शासन मॉडल को संदर्भित करता है जो समावेशिता, पारदर्शिता और जवाबदेही पर आधारित है। यह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जहां व्यक्ति शासन के निष्क्रिय विषय नहीं हैं बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में गतिशील योगदानकर्ता हैं जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं।

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लोक स्वराज क्या है ?

जनता का राज - जनता के लिए

जुड़िये आजादी के तीसरे आंदोलन से
आप भारत के नागरिक है, किसी के गुलाम नहीं।

“अगर कोई सरकार जनता को उसके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखती है तो जनता का यह अधिकार ही नहीं बल्कि आवश्यक कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी सरकार को बदल दे या समाप्त कर दे।”
शहीदे आज़म भगतसिंह

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73वां संशोधन अधिनियम, 1992

पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित प्रमुख समितियां

1. बलवंत राय मेहता समिति 1957

2. अशोक मेहता समिति 1977

3. PVK राय समिति 1985

4. LM सिंघवी समिति 1986

वर्ष 1986 में गठित LM सिंघवी समिति की सिफारिशों के आधार पर 73 वा संविधान संशोधन अधिनियम 1993 के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया

संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गई. जिसमें 29 विषय शामिल किए गए

संविधान में भाग 9 जोड़ा गया

अनुच्छेद 243 अनुच्छेद 243 (A) से 243(O) तक जोड़ा गया

संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 के लिये प्रावधानः

  • तीन स्तरीय सरंचना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति या मध्यवर्ती स्तर पंचायत और जिला परिषद् या जिला स्तर पंचायत ) की स्थापना
  • 20 लाख से अधिक आबादी वाले सभी राज्यों के लिए पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था प्रदान करना
  • ग्राम स्तर पर ग्राम सभा की स्थापना
  • हर 5 साल में पंचायतों के लिए नियमित चुनाव
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए अनुपतिक सीट आरक्षण
  • पंचायतों के चुनाव में महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई सीटों का आरक्षण का प्रावधान किया गया अर्थात 33 प्रतिशत
  • राज्य वित्त आयोग का पंचायतों की वित्तीय शक्तिओं के संबंध में सिफारिशें करना।
  • जिला योजना समिति का समग्र रूप से जिले के लिए विकास योजना प्रारूप तैयार करना।

शक्तियां और जिम्मेदारियां

संविधान (73वां संशोधन )अधिनियम,1992  राज्य सरकार में पंचायतों को ऐसी शक्तियों और प्राधिकार प्रदान करने की शक्ति निहित करता है, जो उन्हें स्व-शासन के संस्थानों के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हो सकते हैं, जैसे:

  • संविधान की 11वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 29 विषयों के संबंध में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए उनका निष्पादन।
  • पंचायत को कर, टोल और शुल्क लगाने, एकत्र करने और उचित करने का अधिकार।
  • राज्यों द्वारा पंचायतों को करों,  टोलों और शुल्कों का अंतरण ।

ग्राम सभा

स्थापित पंचायती राज में, ग्राम सभा, ग्राम पंचायतों के प्रभावी कामकाज के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका है। ग्राम सभा की बैठक में ग्रामीण गरीबों, महिलाओं और वंचित लोगों को अब अपने जीवन को प्रभावित करने वाले मामलों पर निर्णय लेने में शामिल होने का अवसर मिलेगा। ग्राम सभा के सक्रिय कामकाज से पारदर्शिता, जवाबदेही और उपलब्धि के साथ सहभागी लोकतंत्र सुनिश्चित होगा।

  • ग्राम सभा  हर तिमाही में कम से कम एक बैठक होनी चाहिए, खासकर गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती पर।
  • आवश्यकता आकलन के आधार पर पंचायतों द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों का निर्धारण करना।
  • पंचायतों के कामकाज में अर्थव्यवस्था और दक्षता के लिए उपचारात्मक उपाय सुझाना।
  • ग्राम सभा की बैठक में पंचायतों के निर्णयों पर प्रश्न और जांच।
  • ग्राम पंचायतों के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा।

संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 में ग्राम स्तर पर स्व-शासन के संस्थानों के रूप में सशक्त पंचायतों की परिकल्पना की गई है:

  • ग्राम स्तर के सार्वजनिक कार्यों की योजना और कार्यान्वयन और उनके रख-रखाव।
  • ग्रामीण स्‍तर पर स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, सांप्रदायिक सद्भाव, सामाजिक न्‍याय विशेषकर लिंग और जाति आधारित भेदभाव, विवाद समाधान, बच्‍चों का कल्‍याण, विशेषकर बालिकाओं का कल्‍याण सुनिश्चित करना।

संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 में जमीनी स्तर पर उन लोगों की संसद के रूप में सशक्त ग्राम सभाओं की परिकल्पना की गई है जिनके लिए ग्राम पंचायत पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।

पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों के लिए विस्तार ) अधिनियम, 1996

यह अधिनियम 8 राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों अर्थात आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात , हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश,उड़ीसा और राजस्थान  के पंचायतों तक फैला हुआ है । यह 24 दिसम्बर 1996 को लागू हुआ। राजस्थान और बिहार को छोड कर सभी राज्यों में निहित प्रावधानों को प्रभावी करने के लिए कानूनी है ।  1996 का अधिनियन 40 अधिनियन के तहत ग्राम सभा को निम्नलिखित शाक्तियों के साथ निहित किया गया है:-

  • लघु वनोपज का स्वामित्व
  • थ्वकास योजनाओं को मंजूरी
  • विभिन्न कार्यक्रमों के तहत लाभार्थियों का चयन
  • भूमि अधिग्रहण पर उल्लंघन
  • मामूली जल निकायों का प्रबंधन करें
  • खनिज पटटों पर नियंत्रण
  • नशीले पदार्थों की बिक्री को रोकना / निषेध करना
  • भूमि के अलगाव को रोकें और पुर्नस्थापित करें । गैर कानूनी रूप से अनुसूचित जनजाति कर भूमि
  • गाँव के बाज़ारों का प्रबंधन करें
  • अनुसूचित जातियों के लिए पैसे उधार नियंत्रण
  • सभी सामाजिक क्षेत्र में नियंत संस्थाएँ और अधिकारी

प्रशिक्षण और जागरूकता सृजन कार्यक्रम

ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्यों में पंचायतों और कार्यकारियों के निर्वाचित सदस्यों के बीच जागरूकता पैदा करने और प्रशिक्षण करने के अपने प्रयासों में सीमित वितीय सहायता प्रदान करता है । राज्य सरकारों को ऐसे प्रशिक्षण पाठयक्रम संचालित करने के लिए कहा जा रहा है । मंत्रालय पंचायती राज पर प्रशिक्षण और जागरूकता सृजन कार्यक्रम आयोजित करने के लिए गैर सरकारी संगठनों को लोगों की कार्यवाही और ग्रामीण प्रोदयोगिकी ( कपार्ट ) की उन्नति के लिए परिष्ट के माध्यम से वितीय सहायता भी प्रदान करता रहा है । यह मंत्रालय स्वेच्छिक संगठनों / संस्थानों से पंचायती राज संबंधित अनुसंधान और मूल्यांकन अध्ययन भी करता है।

( ELEVENTH SCHEDULE(Articles 243G) )

  1. कृषि ,जिसमे कृषि विस्तार भी शामिल हो ।
  2. भूमि सुधार , भूमि सुधारों का कार्यन्वयन, भूमि संरक्षण और मिटटी संरक्षण
  3. लघु सिंचाई , जल प्रबंधन और जल विकास
  4. पशुपालन,डेयरी और मुर्गी पालन
  5. मत्स्य पालन
  6. सामाजिक वानिकी और कृषि वानिकी
  7. लघु वन उपज
  8. खादय प्रसंस्करण और उद्योग सहित लघु उद्योग
  9. खादी, गाँव और कुटीर उद्योग
  10. ग्रामीण आवास
  11. पीने का पानी
  12. ईंधन ,चारा
  13. सड़कें, पुलिया, पुल, घाट, जलमार्ग और कूप संडूकता के अन्य साधन
  14. बिजली के वितरण सहित ग्रामीण विद्युतीकरण
  15. गैर-पारंपरिक उर्जा स्त्रोत
  16. गरीबी उपशमन कार्यक्रम
  17. शिक्षा सहित प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय
  18. टैक्निकल प्रशिक्षण और वैवसायिक शिक्षा
  19. वयस्क और गैर-औपचारिक शिक्षा
  20. पुस्ताकालय
  21. संस्कृतिक गतिविधियां। संविधान ( 73वां संशोधन ) अधिनियम 1992 द्वारा संचालित 73वां एक्ट 1992 ( 24.04.1993 से )
  22. बाजार और मेले
  23. स्वास्थ्य और स्वच्छता, जिसमे अस्तपाल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और औषध्यालय शामिल है।
  24. परिवार कल्याण
  25. महिला और बाल विकास
  26. सामाजिक कल्याण, विकलांगों और मानसिक रूप से मंद लोगों के कल्याण के लिए
  27. कमजोर वर्गों का कल्याण और विशेष रूप से अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जातियों और जनजातियों का कल्याण
  28. सार्वजनितिक वितरण प्रणाली
  29. सांप्रदायिक सम्पतियों का रख रखाव
शक्तियां और जिम्मेदारियां

संविधान (73वां संशोधन) अधिनियम, 1992 राज्य सरकार को यह अधिकार देता है कि वह पंचायतों को ऐसी शक्तियां और अधिकार प्रदान करे जो उन्हें स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक हों।

संविधान के xi अनुसूची में सूचिबद्ध 29 विषयों के संबंध में आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिये उनके निष्पादन ।

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राज्यों द्वारा पंचायतों को एकत्र किये गये करो, टोलो और शुल्को की जानकारी और विकास के लिए ग्राम पंचायत को राशी का एक हिसा प्रदान करना

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पंचायत को लेवी वसूलने, एकत्र करने और उचित करों, टोलो और शुल्क के वसूलने का अधिकार है ।

74वां संशोधन अधिनियम, 1992

संविधान (74वां संशोधन) अधिनियम, 1992 निम्नलिखित प्रावधानों को अनिवार्य करता है :

  • इसमें नगर पालिका नगर निगम और नगर परिषद से संबंधित प्रावधान किए गए
  • इस संशोधन के द्वारा संविधान में भाग 9A जोड़ा गया
  • इसमें अनुच्छेद 243 Pसे 243 ZG तक के अनुच्छेद शामिल है
  • नगर पालिकाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान अर्थात एक तिहाई आरक्षण

( TWELVE SCHEDULE (Articles 243W ) )

  1. नगर नियोजन सहित शहरी नियोजन।
  2. भूमि-उपयोग एवं भवनों के निर्माण का विनियमन।
  3. आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु योजना बनाना।
  4. सड़कें और पुल.
  5. घरेलू, औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए जल आपूर्ति।
  6. सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता संरक्षण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन।
  7. अग्निशमन सेवाएँ।
  8. शहरी वानिकी, पर्यावरण की सुरक्षा और पारिस्थितिक पहलुओं को बढ़ावा देना।
  9. विकलांगों और मानसिक रूप से विकलांगों सहित समाज के कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा करना।
  10. मलिन बस्ती सुधार एवं उन्नयन।
  11. शहरी गरीबी उन्मूलन.
  12. शहरी सुविधाओं और सुविधाओं जैसे पार्क, उद्यान, खेल के मैदान का प्रावधान।
  13. सांस्कृतिक, शैक्षिक और सौंदर्य संबंधी पहलुओं को बढ़ावा देना।
  14. दफ़न और कब्रगाह; दाह संस्कार, श्मशान घाट और विद्युत शवदाह गृह।
  15. मवेशी पाउंड; पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम.
  16. जन्म और मृत्यु के पंजीकरण सहित महत्वपूर्ण आँकड़े।
  17. स्ट्रीट लाइटिंग, पार्किंग स्थल, बस स्टॉप और सार्वजनिक सुविधाएं सहित सार्वजनिक सुविधाएं।
  18. बूचड़खानों और चर्मशोधन कारखानों का विनियमन.

लोक स्वराज की जरुरत क्यों पड़ी ?

वाह रे मेरे हुकुम रानो क्या कभी सोचा आपने ?
पिछले 75 सालो में आप इस देश की भोली भाली जनता को रोजी रोटी व रोजगार नहीं दे पा रहे है
85 करोड़ लोगो को आपको रोटी ,चावल (सरकारी राशन ) देना पड़ रहा है
इससे बुरी शर्मनाक स्थिति क्या होगी की देश को आजाद होने के बाद भी आपको भीख में रोटी देनी पड़ रही है
इससे यह साफ़ हो जाता है की ये भ्रष्टाचारी हमे रोजगार नहीं बल्कि हमें गुलाम बनाने के लिए मुफ्तखोरी की राह पर ले कर जा रहे है
ये सेवक बनने का ढोंग करते है और पिछले 75 सालों से राजशाही चला रहे है और जनता से गुलामों की तरह पेश आते है।
हाँ अब इस देश की जनता जागरूक हो गई है हमने अपने हको के लिए लड़ना सिख लिया है या तो आप हमे रोजगार दीजिये या फोरन सिंहासन खाली कीजिये
अब हम और नहीं सहेंगे हमे अपनी गांव और शहर की सरकार बनानी ही पड़ेगी। जिससे की हमारी आने वाली पीढ़ियों को रोजगार मिल सके
इस सब को ठीक करने का एक ही उपाय है वो है लोकशाही / लोकस्वराज
लोकशाही / लोकस्वराज के बारे में जानने के लिए इस पेज को फ़ॉलो करे।
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लोक स्वराज कैसे लागू होगा ?

क्या आप एक जागरूक वोटर है ?
क्या आप अपना वोट किसी को अपने ऊपर राज रकने के लिए दे रहे है या अपने काम करवाने के लिए दे रहे है ?
इस बार वोट देने से पहले आपको उस नेता से हिसाब लेना है कि
आपने आज से पांच साल पहले जो वादे किए थे क्या वो वादे पुरे हो गए है
अगर वो वादे पुरे नहीं हुए है तो उन्हें आप अपना मांग पत्र दीजिए
उसमे अपनी सारी समस्याएं लिखिए जैसे की आप के गांव का स्कूल, सड़क, अस्पताल या तालाब किसी में भी आप कोई परेशानी झेल रहे है
उस काम की उनसे गारंटी लीजिए साथ ही 73वे व 74वे संसोधन की 11वी व 12वी सूचि के अंतर्गत दिए गए सभी अधिकार बहाल करें
जिससे आपकी गांव की व् शहर की सरकार वो सब काम करा पाए
लोकशाही/ स्वसाशन की मुहीम से जुड़ने के लिए इस पेज को लाइक करें
लोकस्वराज हमारा अधिकार

लोकस्वराज लोगों को कैसे मिल सकता है ?

लोकशाही/लोकस्वराज लोगों को कैसे मिल सकता है ?
आप सभी के पास एक सुनहरा अवसर है लोकस्वराज को पाने का
क्योकि यह समय पुरे देश में होने वाले लोकसभा चुनाव का समय है
आपके पास अलग अलग पार्टी के लोग वोट मांगने के लिए आपके दरवाजे पर आएंगे
तब आपको बड़े सम्मान के साथ उन्हें कहना है कि आप हमारी गांव और शहर की सरकार को निर्णय लेने का अधिकार दे दीजिए
हमे निर्णय लेने का अधिकार और हमें हमारा बजट दे दीजिए
नेता आपको बोलेंगे कि हम सत्ता में आते ही इस पर काम करेंगे
तब आपने कहना है कि आपकी पार्टी की सरकार जिन भी राज्यों में है पहले ये आप वहां कर दीजिए तो हम आपको वोट जरूर देंगे
और कहिए के इस बार पहले हमारे गांव की और शहर की सरकार को निर्णय लेने का अधिकार मिलेगा
फिर आपकी सरकार बनेगी
एक जागरूक वोटर बनिए और इस बार अपने प्रदेश में लोकस्वराज का परचम लहराईये

आपका कोई प्रश्न है?

बस फॉर्म भरें और हम यथाशीघ्र आप तक पहुंचेंगे